Friday, July 14, 2017

मुख्यमंत्री उत्तराखंड को एक पत्र | पहाड़ो में सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी की शिक्षा का स्तर कैसे बढ़ाया जाय - कुछ सुझाव

सेवा में ,
आदरणीय श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी
मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार
देहरादून

विषय - पहाड़ो में सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी की शिक्षा का स्तर कैसे बढ़ाया जाय - कुछ सुझाव



महोदय ,
प्रणाम ,जैसा की आप जानते हैं की पहाड़ से पलायन एक बहुत बड़ी समस्या है , जिसके कई मुख्य कारण है जैसे की रोजगार की कमी , शिक्षा के स्तर कमी , और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव |पहाड़ के बच्चे बहुत ही परिश्रमी होते हैं , माता-पिता के साथ घर के काम में हाथ बांटने के साथ वो पढाई में भी तेज़ होते हैं लेकिन जब वो नौकरियों के लिए शहरों में जाते हैं तो आसानी से अच्छी नौकरी नहीं पाते जिसका मुख्य कारण अंग्रेजी भाषा के ज्ञान एवं उसको बोलने में आत्मविशास की कमी होता है | हम सब जानते ही है आज के युग में अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना कितना जरूरी है | हमें अपनी भाषाओ पर गर्व है लेकिन अंग्रज़ी भाषा आना भी अनिवार्य है |

अगर में अपने अनुभव से कहूं तो पहाड़ के सरकारी स्कूलों में पढाई तो अच्छी होती है लेकिन अंग्रेजी का स्तर उतना अच्छा नहीं है | माँ-बाप की नज़रो में भी अंग्रेजी का ज्ञान होना ही अच्छी पढाई समझा जाता है |अगर हमारे सरकारी स्कूल में भी इस बात पर ध्यान दिया जाय तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे पहाड़ की प्रतिभाओ की पूरी दुनिया कायल होगी और बहुत ही छोटी उम्र में हमारे ये युवक -युवतिया देश-विदेश में अच्छे पदों पर सुशोभित होंगे|
इसके लिए बस सरकार के अलावा सरकारी स्कूल के शिक्षकों में कुछ अलग करने की जिद होनी चाइये | हम उत्तराखंड सरकार द्वारा "उन्नति " नाम के कार्यक्रम की सराहना करते हैं| उत्तराखंड सरकार का यह कार्य सराहनीय और काबिले तारीफ़ है |
मुझे लगता है जब सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल का या अंतर ख़तम हो जायेगा तब सभी लोग चाहेंगे की उनके बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़े जंहा फीस भी कम होती है और जाहिर की इस वजह से पलायन पर रोक भी लगेगी , क्योंकि कई लोगो के पास रोजगार होता है, लेकिन बच्चो के शिक्षा और भविष्य को ध्यान में रख कर वो लोग शहरों की और चले जाते हैं |
उत्तराखंड से प्रेम और उत्तराखंडी होने के नाते होने के नाते सोच सोसाइटी कुछ सुझाव इस पहल (उन्नति ) में जोड़ना चाहते हैं और हमें आशा है की आपको ये सुझाव पसंद आएंगे |

• स्कूल सात में से छ: दिन खुले रहते हैं तो क्यों न पांच दिन अंग्रेजी के पाठ्यक्रम सम्बंधित पढाई हो और एक दिन सिर्फ अंग्रेजी की वार्तालाप सम्बंधित पढाई हो , जिसमे सिर्फ बच्चो द्वारा अंग्रेजी में वार्तालाप हो और शिक्षक उनका सहयोग करे|शिक्षक उनके अंदर की झिझक को दूर करे , बच्चो को अंग्रेजी में वार्तालाप के लिए प्रोत्साहित करे |
• बच्चे शुरू में गलत बोले या सही बोले इसे नज़रअंदाज़ करते हुवे शिक्षक सिर्फ इस बात पर ध्यान दे की बच्चे सिर्फ अंग्रेजी में ही बोले |
• धीरे धीरे नए -नए शब्दों को सिखाते हुवे शिक्षक वार्तालाप में नए शब्दों का उपयोग करवाए |
• हर सरकारी स्कूल में सुबह की प्रार्थना के साथ साथ , बारी बारी से हर दिन स्कूल का एक बच्चा घर से अंग्रेजी समाचार लिख कर लाये और उसे सुबह सबके सामने पढ़े, ये क्रम हर दिन का रहे | ये अभ्यास अंग्रेजी की कक्षा में भी किया जा सकता है |
• महीने में हर एक कक्षा के बच्चे को अंग्रेजी में किसी विषय के ऊपर लिखने को बोलें , ये कोई परीक्षा नहीं होगी लेकिन शिक्षक इन लेखो को जांच सकते हैं और बच्चो को प्रतिक्रिया दे सकते हैं |
• समय समय पर कुछ अच्छे बच्चे जो अंग्रेजी बोलने में निपुण है , उनके द्वारा अंग्रेजी का एक छोटा नाटक भी कराया जाय | और ये क्रम लगातार जारी रहे , हर बार नाटक करने वाले बच्चे अलग अलग हो ,जिसमे पिछले बार भाग लेने वाले प्रतिभागी बच्चे उनका सहयोग कर सकते हैं |
उपर्युक्त अभ्यास के अनुसरण से बच्चो को अंग्रेजी बोलने सिखने का एक सकारात्मक वातावरण मिलेगा और निश्चय ही समय के साथ-साथ हमारे सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बहुत ऊपर पहुँच जायेगा |
पुनः हम उत्तराखंड सरकार के इस सराहनीय कदम की प्रशंसा करते हैं और इस पत्र के उत्तर की उम्मीद करते हैं |

धन्यवाद
दीपेंद्र सिंह नेगी "दीप "
सदस्य (सोच संस्था )

उत्तराखंड